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सिवनी हवाला लूट कांड: SDOP पूजा पांडे को रीवा सेंट्रल जेल एवं बाकी 10 पुलिसकर्मियों को नरसिंहपुर किया गया शिफ्ट; 12 नवंबर तक बढ़ी रिमांड

सिवनी। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में चर्चित 3 करोड़ रुपये के हवाला डकैती कांड ने एक नया मोड़ ले लिया है। इस सनसनीखेज मामले में आरोपी एसडीओपी पूजा पांडे समेत 11 पुलिसकर्मियों को सिवनी जिला जेल से रीवा और नरसिंहपुर सेंट्रल जेल शिफ्ट कर दिया गया है। जेल मुख्यालय भोपाल के आदेश पर यह कार्रवाई की गई, जिसमें सुरक्षा कारणों और स्थानीय प्रभाव को ध्यान में रखा गया। एसडीओपी पूजा पांडे को रीवा सेंट्रल जेल भेजा गया है।शेष 10 पुलिसकर्मियों को नरसिंहपुर सेंट्रल जेल में स्थानांतरित किया गया।यह कदम सुरक्षा के लिहाज से उठाया गया, क्योंकि सिवनी में आरोपी पुलिसकर्मियों के स्थानीय प्रभाव और संभावित दबाव की आशंका थी। सभी आरोपियों की 14 दिनों की न्यायिक रिमांड भी बढ़ा दी गई है, जिसके तहत वे 12 नवंबरतक जेल में ही रहेंगे। क्या है पूरा मामला जानें-यह घटना 8-9 अक्टूबर की रात सिवनी के सीलादेही हाईवे पर घटी, जब एसडीओपी पूजा पांडे की अगुवाई में पुलिस टीम ने एक कार को चेकिंग के दौरान रोका। कार से करीब 2.96 करोड़ रुपये की नकदी बरामद हुई, जो हवाला कारोबार से जुड़ी बताई जा रही है। आरोप है कि पांडे और उनके साथी पुलिसकर्मियों ने रकम को जब्त करने के बजाय कारोबारियों से सौदा किया और पूरी राशि हड़प ली। इसमें डकैती (IPC 395), अपहरण (IPC 364) और आपराधिक षड्यंत्र (IPC 120B) जैसी गंभीर धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ। सीएम मोहन यादव के सख्त निर्देश पर डीजीपी कैलाश मकवाना ने सभी 11 आरोपियों को निलंबित कर दिया था। गिरफ्तारी के बाद कोर्ट ने इन्हें जेल भेजा, लेकिन अब शिफ्टिंग से जांच में पारदर्शिता सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है। जमानत पर रोक-सभी आरोपियों की जमानत याचिकाएं निचली अदालत और सत्र न्यायालय में खारिज हो चुकी हैं। अब वे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुके हैं, जिसकी सुनवाई लंबित है।

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पन्ना में पुलिस पर हमला, थाना प्रभारी सहित पुलिसकर्मी घायल

पन्ना जिले के बृजपुर थाना अंतर्गत धरमपुर गांव में शनिवार देर शाम पुलिस पर ग्रामीणों ने हमला कर दिया। जानकारी के अनुसार, किसी मामले में कार्रवाई करने पहुंची पुलिस टीम पर अचानक ग्रामीणों ने पथराव शुरू कर दिया, जिससे मौके पर अफरा-तफरी मच गई। हमले में थाना प्रभारी महेंद्र सिंह घायल हो गए, वहीं एक सिपाही को भी चोटें आईं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पुलिस की दो राइफलें हमलावरों ने छीन लीं। घटना की सूचना मिलते ही एसपी निवेदिता नायडू स्वयं मौके पर पहुंचीं। उनके साथ डीआईजी और जिले के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बृजपुर पहुंचे। तनावपूर्ण हालात को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है और गांव को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। पुलिस ने आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है और पूरे मामले की जांच जारी है।

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मध्य प्रदेश में अब केवल पंजीकृत फार्मासिस्ट ही दे सकेंगे दवाएं, नियम उल्लंघन पर होगी सख्त कार्रवाई

भोपाल: मध्य प्रदेश फार्मेसी काउंसिल, भोपाल ने राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। नए आदेश के अनुसार, अब प्रदेश के सभी अस्पतालों, फार्मेसियों और मेडिकल स्टोर पर दवाइयों का वितरण, बिक्री या डिस्पेंसिंग केवल एक पंजीकृत फार्मासिस्ट की भौतिक उपस्थिति में ही संभव हो सकेगा। काउंसिल द्वारा जारी की गई आधिकारिक सूचना में स्पष्ट किया गया है कि यह कड़ा कदम फार्मेसी अधिनियम 1948 की धारा 42 और हाल ही में लागू हुए जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) अधिनियम 2023 के प्रावधानों के तहत उठाया गया है। इन अधिनियमों का उद्देश्य फार्मेसी के पेशे को विनियमित करना और यह सुनिश्चित करना है कि मरीजों तक दवाएं सुरक्षित और पेशेवर तरीके से पहुंचें। इस निर्देश का उल्लंघन करने वाले संस्थानों और व्यक्तियों पर कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यदि कोई भी मेडिकल स्टोर, अस्पताल या फार्मेसी बिना पंजीकृत फार्मासिस्ट के दवाएं वितरित या बेचते हुए पाया जाता है, तो संबंधित व्यक्ति और संस्थान के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके अतिरिक्त, दोषी पाए जाने पर संबंधित फार्मासिस्ट का पंजीकरण स्थायी रूप से निरस्त या कुछ समय के लिए निलंबित किया जा सकता है। काउंसिल के इस फैसले का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में बिना विशेषज्ञता के दवा वितरण पर रोक लगाना है, जिससे दवाओं के गलत उपयोग और उससे होने वाले दुष्प्रभावों के खतरों को कम किया जा सके। यह सुनिश्चित करेगा कि हर मरीज को दवा की सही जानकारी, उसकी खुराक और उपयोग करने का तरीका एक योग्य फार्मासिस्ट द्वारा ही बताया जाए। सभी फार्मेसी संचालकों और स्वास्थ्य संस्थानों को इस निर्देश का तत्काल प्रभाव से पालन करने के लिए कहा गया है। काउंसिल ने यह भी संकेत दिया है कि इन नियमों के अनुपालन की जांच के लिए औचक निरीक्षण भी किए जाएंगे।

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सिरप कांड: 23 बच्चों की मौत के मामले में दवा कंपनी का मालिक गिरफ्तार

चेन्नई/छिंदवाड़ा: मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सिरप से 23 बच्चों की दर्दनाक मौत के मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है। मध्य प्रदेश पुलिस ने तमिलनाडु के चेन्नई से दवा निर्माता कंपनी श्रीसन फार्मास्युटिकल्स के मालिक रंगनाथन गोविंदन को हिरासत में ले लिया है। रंगनाथन पर गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है और उनकी गिरफ्तारी पर 20,000 रुपये का इनाम भी घोषित था। यह मामला तब सामने आया जब मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल जिलों में खांसी-जुकाम और बुखार से पीड़ित बच्चों को ‘कोल्ड्रिफ’ नामक कफ सिरप दिया गया, जिसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। जांच में पता चला कि बच्चों की किडनी फेल हो रही थी। अब तक इस जहरीले सिरप के सेवन से 23 मासूमों की जान जा चुकी है। कई अन्य बच्चों का अभी भी नागपुर के अस्पतालों में इलाज चल रहा है, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर बनी हुई है। जहरीले रसायन डाईएथिलीन ग्लाइकॉल की पुष्टि सरकारी प्रयोगशाला में हुई जांच में सिरप के सैंपल में जानलेवा औद्योगिक रसायन ‘डाईएथिलीन ग्लाइकॉल’ (Diethylene Glycol – DEG) की भारी मात्रा पाई गई। यह रसायन इंसानों के लिए बेहद जहरीला होता है और इसके सेवन से किडनी फेल हो सकती है, जिससे मौत हो जाती है। मुख्य आरोपी पर इनाम और SIT का गठन मामले की गंभीरता को देखते हुए मध्य प्रदेश पुलिस ने श्रीसन फार्मा के फरार मालिक रंगनाथन पर 20 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था और उसकी तलाश के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया था। एसआईटी की टीम ने लगातार दबिश देते हुए अंततः उसे चेन्नई से पकड़ लिया। डॉक्टर पहले ही हो चुका है गिरफ्तार इस मामले में पुलिस पहले ही छिंदवाड़ा के परासिया के एक बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी को गिरफ्तार कर चुकी है। आरोप है कि डॉ. सोनी ने ही कई पीड़ित बच्चों को यह जहरीला कफ सिरप लेने की सलाह दी थी। हालांकि, स्थानीय डॉक्टर संघ ने डॉ. सोनी की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए दवा निर्माता कंपनी और सरकारी तंत्र की विफलता को जिम्मेदार ठहराया है। सरकार की कार्रवाई मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने पुष्टि की है कि मौतों का आंकड़ा 23 तक पहुंच गया है। सरकार ने मामले में लापरवाही बरतने पर छिंदवाड़ा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) और दो ड्रग इंस्पेक्टरों सहित कई अधिकारियों पर कार्रवाई की है। राज्य सरकार ने कोल्ड्रिफ सिरप सहित श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स के सभी उत्पादों की बिक्री पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही, देश के कई अन्य राज्यों ने भी एहतियातन इस सिरप पर रोक लगा दी है। इस हृदयविदारक घटना ने देश में दवाओं की गुणवत्ता और नियामक प्रणाली पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। शोक संतप्त परिवार दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

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छिंदवाड़ा में जहरीले कफ सिरप से अब तक 11 बच्चों की मौत: आरोपी डॉक्टर प्रवीण सोनी गिरफ्तार

छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश। जिले में जहरीला कफ सिरप पीने से 11 बच्चों की दर्दनाक मौत के मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए आरोपी डॉक्टर प्रवीण सोनी को गिरफ्तार कर लिया है। डॉक्टर पर आरोप है कि उन्होंने बच्चों को ‘कोल्ड्रिफ’ नामक कफ सिरप दिया था, जिसकी जांच में जानलेवा केमिकल डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) की 48.6% मात्रा पाई गई है। यह मामला तब सामने आया जब परासिया और आसपास के इलाकों में कई बच्चों की सर्दी-खांसी के बाद अचानक किडनी फेल होने से तबीयत बिगड़ने लगी और मौतें होने लगीं। जांच में पता चला कि इन सभी बच्चों का इलाज सरकारी डॉक्टर प्रवीण सोनी ने अपने निजी क्लीनिक पर किया था और उन्हें ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप लेने की सलाह दी थी। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में सिरप के जहरीले होने की पुष्टि के बाद प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से ‘कोल्ड्रिफ’ सिरप और इसे बनाने वाली कंपनी श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स के सभी उत्पादों पर प्रदेश में प्रतिबंध लगा दिया है। पुलिस ने डॉक्टर प्रवीण सोनी के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या सहित कई गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया है और आगे की जांच जारी है। इस हृदयविदारक घटना ने पूरे इलाके में शोक और आक्रोश का माहौल बना दिया है। मुख्यमंत्री ने मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। मुख्य बिंदु:

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