भोपाल: मध्य प्रदेश फार्मेसी काउंसिल, भोपाल ने राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। नए आदेश के अनुसार, अब प्रदेश के सभी अस्पतालों, फार्मेसियों और मेडिकल स्टोर पर दवाइयों का वितरण, बिक्री या डिस्पेंसिंग केवल एक पंजीकृत फार्मासिस्ट की भौतिक उपस्थिति में ही संभव हो सकेगा।

काउंसिल द्वारा जारी की गई आधिकारिक सूचना में स्पष्ट किया गया है कि यह कड़ा कदम फार्मेसी अधिनियम 1948 की धारा 42 और हाल ही में लागू हुए जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) अधिनियम 2023 के प्रावधानों के तहत उठाया गया है। इन अधिनियमों का उद्देश्य फार्मेसी के पेशे को विनियमित करना और यह सुनिश्चित करना है कि मरीजों तक दवाएं सुरक्षित और पेशेवर तरीके से पहुंचें।
इस निर्देश का उल्लंघन करने वाले संस्थानों और व्यक्तियों पर कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यदि कोई भी मेडिकल स्टोर, अस्पताल या फार्मेसी बिना पंजीकृत फार्मासिस्ट के दवाएं वितरित या बेचते हुए पाया जाता है, तो संबंधित व्यक्ति और संस्थान के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके अतिरिक्त, दोषी पाए जाने पर संबंधित फार्मासिस्ट का पंजीकरण स्थायी रूप से निरस्त या कुछ समय के लिए निलंबित किया जा सकता है।
काउंसिल के इस फैसले का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में बिना विशेषज्ञता के दवा वितरण पर रोक लगाना है, जिससे दवाओं के गलत उपयोग और उससे होने वाले दुष्प्रभावों के खतरों को कम किया जा सके। यह सुनिश्चित करेगा कि हर मरीज को दवा की सही जानकारी, उसकी खुराक और उपयोग करने का तरीका एक योग्य फार्मासिस्ट द्वारा ही बताया जाए।
सभी फार्मेसी संचालकों और स्वास्थ्य संस्थानों को इस निर्देश का तत्काल प्रभाव से पालन करने के लिए कहा गया है। काउंसिल ने यह भी संकेत दिया है कि इन नियमों के अनुपालन की जांच के लिए औचक निरीक्षण भी किए जाएंगे।
